अयोध्या, 12 अप्रैल – न्यूजलाईन एक्सप्रैस – अयोध्या में रामलला की बाल प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद देशभर से भक्त अपने आराध्य के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। 500 वर्षों लंबे इंतजार के बाद रामलला 22 जनवरी 2024 को अपने भव्य महल में विराजमान हो गए हैं, तब से उनके दर्शनों के लिए रोजाना लाखों भक्त पहुंच रहे हैं। ऐसे में भक्त राम नवमी के दिन अब एक और अद्भुत घटना के साक्षी बनेंगे। यहां सूर्यवंशी भगवान राम के मस्तक पर स्वयं सूर्यदेव तिलक करेंगे। राम मंदिर में सूर्य अभिषेक का सफल परीक्षण किया गया है। यहां दर्पण के जरिए भगवान के मस्तक पर सूर्य ने तिलक किया है। वैज्ञानिकों के मौजूदगी में ठीक दोपहर 12:00 इस सूर्य तिलक का सफल परीक्षण किया है।
मंदिर के शिखर के पास तीसरी मंजिल से सूर्य की किरणों को गर्भ गृह तक लाया जाएगा। इसके लिए खास तरह के मिरर और लेंस की व्यवस्था की गई है। इसमें सूर्य के पथ बदलने के सिद्धांतों का उपयोग किया जाएगा। वैज्ञानिकों के अनुसार एस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र में भारत के प्रमुख संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने चंद्र व सौर (ग्रेगोरियन) कैलेंडरों के बीच जटिलतापूर्ण अंतर के कारण आने वाली समस्या का समाधान किया है। यह एक दिलचस्प वैज्ञानिक प्रयोग था। इसमें दो कैलेंडरों के 19 साल के रिपीट साइकल ने समस्या को हल करने में मदद की।
राम मंदिर निर्माण के प्रभारी गोपाल राव बताते हैं कि राम नवमी की तारीख चंद्र कैलेंडर से निर्धारित होती है। इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि शुभ अभिषेक निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हो, 19 गियर की विशेष व्यवस्था की गई है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि ””गियर-बेस्ड सूर्य तिलक मैकेनिज्म में बिजली, बैटरी या लोहे का उपयोग नहीं किया गया है।
विशेष ‘सूर्य तिलक’ के निर्माण में सूर्य के पथ को लेकर तकनीकी मदद बेंगलुरू के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) से ली गई है। बेंगलुरू की कंपनी ऑप्टिका के एमडी राजेंद्र कोटारिया ने लेंस और ब्रास ट्यूब तैयार किया है। उन्होंने ही इसे इंस्टॉल भी किया। सीबीआरआई की टीम का नेतृत्व डॉ. एसके पाणिग्रही के साथ डॉ. आरएस बिष्ट, कांति लाल सोलंकी, वी चक्रधर, दिनेश और समीर ने किया है।
सूर्य तिलक मैकेनिज्म का उपयोग पहले से ही कुछ जैन मंदिरों और कोणार्क के सूर्य मंदिर में किया जा रहा है। हालांकि उनमें अलग तरह की इंजीनियरिंग का प्रयोग किया गया है। राम मंदिर में भी मेकैनिज्म वही है, लेकिन इंजीनियरिंग बिलकुल अलग है। निर्धारित समय पर तिलक करना बड़ी चुनौती थी। Newsline Express